https://www.rakeshmgs.in/search/label/Template
https://www.rakeshmgs.in
RakeshMgs

File Management

Updated:



फाइल मैनेजमेन्ट फाइल, संबंधित सूचनाओं का एक समूह है। प्रत्येक फाइल का एक नाम होता है, जिसके द्वारा इन्हें निर्दिष्ट(refer)किया जाता है।
फाइल मैनेजमेंट किसी भी ऑपरेटिंग सिस्टम एक महत्वपूर्ण पहलू है, जो डाटा और प्रोग्राम को सेकेण्डरी स्टोरेज डिवाइस में स्टोर करने से लेकर उसे मैनेज करने तक का कार्य करता है। फाइल मैनेजमेंट सिस्टम निम्नलिखित कार्यों के लिए उत्तरदायी होता है- - लॉजिकल फाइल एड्रेस से फिजिकल डिस्क एड्रेस की मैपिंग के लिए। - डिस्क स्पेस के मैनेजमेंट, एलोकेशन और डिएलोकेशन के लिए। - सिस्टम की सभी फाइलों की जानकारी रखने के लिए। - फाइलों की शेयरिंग और प्रोटेक्शन के लिए। फाइल कोई भी फाइल, बिट्स या बाइट्स या रिकॉर्ड्स के सिक्वेंस का कलेक्शन होती है। किसी फाइल में कोई आवेदन, रिपोर्ट, कोई एक्ज़िक्युटेबल प्रोग्राम या फिर लाइब्रेरी फंक्शन्स को स्टोर किया जा सकता है। डायरेक्टरी ज्यादातर ऑपरेटिंग सिस्टम में डायरेक्टरी को फाइल के रूप में व्यवहृत किया जाता है। कोई भी डायरेक्टरी अपने से संबंधित फाइलों की जानकारी रखती है। कोई भी डायरेक्टरी एक फ्लैट डायरेक्टरी या फिर हैरारिकल डायरेक्टरी हो सकती है। फ्लैट डायरेक्टरीज़ वे डायरेक्टरीज़ हैं, जिनमें रूट डायरेक्टरी सभी सिस्टम फाइल्स को धारण करती है तथा जिनमें कोई भी सब-डायरेक्टरी नहीं होती है। हैरारिकल डायरेक्टरीज़, डायरेक्टरीज़ तथा सब-डायरेक्टरीज़ का एक समूह होती हैं। फाइल को ज्यादातर हैरारिकल डायरेक्टरी में ही ऑर्गेनाइज किया जाता है। डिस्क ऑर्गेनाइजेशन किसी डिस्क पर स्टोर की गई सूचनाओं को उस डिस्क के ड्राइव नम्बर, सतह तथा ट्रैक द्वारा निर्दिष्ट किया जाता है। डिस्क प्लैटर का बना होता है। प्रत्येक प्लैटर की दो सतहें होती हैं। अतः यदि किसी डिस्क में 6 प्लैटर हैं, तो उसमें 12 सतहें होंगी। परन्तु रीड-राइट ऑपरेशन में केवल 10 सतहें ही काम आयेंगी, क्योंकि सबसे ऊपरी प्लैटर की ऊपरी सतह और सबसे नीचे वाले प्लैटर के नीचे वाली सतह पर रीड-राइट ऑपरेशन नहीं किया जा सकता है। सभी प्लैटर एक साथ उदग्र रूप से, सेलेण्डर का निर्माण करते हैं। डिस्क सतह, ट्रैक्स में बंटा होता है तथा ट्रैक्स सैक्टर में बंचे होते हैं। इनपॉर्मेशन को डिस्क पर किसी ट्रैक में ब्लॉक्स के रूप में स्टोर किया जाता है। ब्लॉक्स की साइज सैक्टर साइज के बराबर होनी चाहिए। डिस्क स्पेस मैनेजमेंट ऑपरेटिंग सिस्टम डिस्क के फ्री-स्पेसेस की एक लिस्ट मेनटेन करता है, जिससे वह डिस्क के अप्रयुक्त डिस्क-ब्लॉक्स की जानकारी रखता है। नयी फाइल को क्रियेट करने के लिए फ्री डिस्क स्पेस की लिस्ट को सर्च किया जाता है तथा नयी फाइल को फ्री डिस्क स्पेस एलोकेट किया जाता है। नयी फाइल को एलोकेट किये गये डिस्क स्पेस की साइज की मात्रा को फ्री डिस्क स्पेस की लिस्ट से हटा दिया जाता है। जब किसी फाइल तो डिलिट किया जाता है, तो उस फाइल द्वारा छेंके गये डिस्क स्पेस को फ्री डिस्क स्पेस की लिस्ट में जोड़ दिया जाता है। बिट वेक्टर ज्यादातर डिस्क के फ्री स्पेस को बिट वेक्टर या बिटमैप के रूप में कार्यान्वित किया जाता है। बिट वेक्टर मैथड में डिस्क के प्रत्येक ब्लॉक को एक बिट से दर्शाया जाता है। डिस्क एलोकेशन मैथड 1.कन्टिग्युअस एलोकेशन 2.लिंक्ड एलोकेशन 3.इन्डेक्स्ड एलोकेशन फाइल प्रोटेक्शन मल्टीयूज़र इनवायरमेंट में फाइल की सुरक्षा आवश्यक होती है, इसमें फाइलों की शेयरिंग एक से अधिक यूज़रों के द्वारा की जाती है। फाइलों की सुरक्षा के लिए विभिन्न प्रोटेक्शन मैकेनिज्म उपयोग किये जाते हैं- 1.पासवर्ड 2.एक्सेस लिस्ट 3.एक्सेस ग्रुप

आपको आर्टिकल कैसा लगा? अपनी राय अवश्य दें
Please don't Add spam links,
if you want backlinks from my blog contact me on rakeshmgs.in@gmail.com