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Computer Introduction Hindi Notes for CCC Computer Course कंप्यूटर परिचय हिंदी नोट्स सीसीसी कंप्यूटर कोर्स के लिए

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CCC Computer Course

कंप्यूटर की दुनिया में स्वागत है।


कंप्यूटर की दुनिया में स्वागत है। आज, कंप्यूटर हमारे जीवन को किसी ना किसी प्रकार से प्रभावित करते हैं। एयरलाइन और रेलवे आरक्षण, टेलीफ़ोन और बिजली के बिल, बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र, यांत्रिकी और स्वास्थ्य संबंधी उद्योग, कृषि और मौसम संबंधी अनुमान... कंप्यूटर की सेवाओं का उपयोग करने वाले क्षेत्रों की सूची अनंत है।

लोकप्रिय होने के तिन मुख्य कारण 


लेकिन, यदि आप कुछ वर्ष पीछे जाएँ, तो कंप्यूटर का उपयोग हमार्रे दैनिक जीवन में नहीं होता था। उनका उपयोग कुछ विशेष और विशिष्ट कार्यों के लिये होता था। तो किसने उनको इतना लोकप्रिय और हमारी
दिनचर्या का एक हिस्सा बना दिया! इसके तीन मूल कारण थे, गति, परिशुद्धता और परिश्रम। कंप्यूटर हर समय मेहनत से काम करता है, मानव की तरह ऊबने या थकने जैसी सीमाओं के बिना काम करता है।

1920 के दशक के दौरान,


‘कंप्यूटोर’ के नाम से प्रचलित कंप्यूटर ‘महिलायें’ थीं, जिनको ‘कैलकुलस’ में डिग्री प्राप्त थी और जो गणनाएँ करती थीं। अधिकांश कंप्यूटर वाणिज्य, सरकारी और शोध संबंधी संस्थाओं में सेवारत थीं, जबकि कुछ कैलेंडर्स के लिये आकाशीय गणनाएँ करती थीं। वे कई महीनों तक घंटे-दर-घंटे, दिन-पर-दिन गुणनफल की गणनाएँ करती रहती थीं। इसके कारण, सुस्ती शीघ्र ही लापरवाही में बदल जाती थी, जिसके कारण गलतियाँ होती थीं। अतः, आविष्कारक इन कार्यों को संपादित करने के लिये, नए तरीके खोजते रहे हैं।0 के दशक के दौरान

कंप्यूटर की पीढ़िया


1920 के दशक के बाद, गणना (कंप्यूटिंग) की मशीन का आविष्कार हुआ, जिन्होंने मानव-कंप्यूटरों का काम किया। सतत अंकों के साथ गणना करने वाली मशीनों को ‘एनालॉग’ के रूप में जाना गया। शब्द कंप्यूटिंग मशीन धीरे-धीरे बदलकर 1940 के बाद कंप्यूटर बन गया, जब इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल मशीन का आरंभ सामान्य हो गया था। ये कंप्यूटर वे गणनाएँ कर सकते थे जिनको पहले मानव-क्लर्क किया करते थे। तब से कंप्यूटर के विकास को विकास के चरणों में व्यक्त किया गया, जिनको कंप्यूटर की पीढ़ियाँ (जेनेरेशन) भी कहते हैं।

Computer V/s Human कंप्यूटर वि. मनुष्य


किन्तु, कंप्यूटर मनुष्य की सारी गतिविधियों को नहीं कर सकता है, केवल इसलिए क्योंकि उनमें मनुष्यों की अपेक्षा कम लचीलापन होता है। उनमें वैकल्पिक समाधानों पर काम करने की क्षमता नहीं होती। अप्रत्याशित स्थिति में, कंप्यूटर गलत परिणाम देते हैं, अथवा काम को पूरी तरह से छोड़ ही देते हैं। अतः मित्रों, मुझे विश्वास है कि आप कंप्यूटर के विषय में और अधिक जानना चाहेंगे तथा उनको सीखकर अपने व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन को अधिक आसान एवं भली-भांति व्यवस्थित बनाना चाहेंगे।

कम्प्यूटर का प्रभाव


कम्प्यूटर के विषय में जानने से पहले हमें आज अपने जीवन में इसके निरन्तर बढते हुए प्रभाव पर दृष्टिपात करना चाहिए। आज हर क्षेत्र में कम्प्यूटर हमारे जीवन पर छाया हुआ है। एयरलाइन्स और रेलवे आरक्षण, टेलीफोन और बिजली के बिल, बैंक,रोगों की जाँच पडताल, मौसम सम्बन्धी जानकारी आदि जिन- जिन विभागों में आज कम्प्यूटर का प्रयोग हो रहा है, उनकी एक लम्बी सूची है।

कम्प्यूटर क्या है ?

कम्प्यूटर एक ऐसा उपकरण है जिसमें आँकडों का निवेश, उनका संकलन व उनका उपयोग क्षिप्रता और कुशलता से करने के साथ - साथ अनेक बाह्य सूचनाओं को भी प्राप्त किया जा सकता है। इस प्रकार कम्प्यूटर में एक या एक से अधिक निवेश यंत्र (इनपुट डिवाइस), संकलन यंत्र (स्टोरेज डिवाइस) तथा इन सबके प्रयोग की तकनीकि इकाई (प्रौसेसिंग यूनिट) होती है।

कम्प्यूटर की उपयोगिताएँ


कम्प्यूटर की तीन मूलभूत उपयोगिताएँ है – क्षिप्रता(स्पीड), परिशुध्दता(एक्युरेसी) और उद्यमशीलता (डीलीजेन्स)। कम्प्यूटर उकताए और थके बिना लगातार काम करने की क्षमता रखता है। फिर भी कम्प्यूटर काम करने के निश्चित निर्देशों व तरीकों को ग्रहण करने के कारण, सभी प्रकार के मानवीय कार्यों को करने में असमर्थ रहता है। कम्प्यूटर में निविष्ट सूचनाओं के परे, मनुष्य के समान सभी प्रकार के कार्यों का निदान प्रस्तुत करने की क्षमता नहीं होती। अचानक से उपस्थित हुई अपरिचित स्थिति में कम्प्यूटर त्रुटिपूर्ण परिणाम देने लगता है या उस कार्य विशेष की जानकारी के अभाव में अस्वीकृत उसे कर देता है।

पहली पीढ़ी (1940-1956)

कंप्यूटर की पहली पीढ़ी सीपीयू (सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट) के लिए स्मृति और circuitry के लिए बुनियादी घटक के रूप में वैक्यूम ट्यूब का उपयोग कर के साथ शुरू कर दिया. बिजली के बल्ब की तरह इन ट्यूबों गर्मी के एक बहुत का उत्पादन और प्रतिष्ठानों के लगातार fusing के लिए प्रवण थे, इसलिए बहुत महंगे थे और केवल बहुत बड़े संगठनों द्वारा afforded जा सकता है। इस पीढ़ी में मुख्य रूप से बैच प्रोसेसिंग ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग किया गया. इस पीढ़ी में छिद्रित कार्ड, कागज टेप, चुंबकीय टेप इनपुट और आउटपुट डिवाइस का इस्तेमाल किया गया। मशीन कोड और बिजली का इस्तेमाल किया वायर्ड बोर्ड भाषाओं थे।

दूसरी पीढ़ी (1956-1963)


ट्रांज़िस्टर – दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों में ट्रांज़िस्टर का उपयोग किया गया, जिन्होंने वैक्यूम ट्यूब का स्थान लिया था। ट्रांज़िस्टर वैक्यूम ट्यूब की अपेक्षा कहीं अधिक उन्नत थे, जिनके कारण ये कंप्यूटर पहली पीढ़ी के कंप्यूटरों की अपेक्षा आकार में छोटे, तेज़, सस्ते, बिजली की कम खपत करने वाले, और अधिक विश्वसनीय थे। ट्रांज़िस्टर भी काफ़ी अधिक मात्रा में ताप उत्पन्न करते थे, जिसके कारण कंप्यूटर क्षतिग्रस्त हो सकते थे, लेकिन वैक्यूम ट्यूब की तुलना में ये बहुत बड़ा सुधार हुआ था। दूसरी-पीढ़ी के कंप्यूटर भी इनपुट के लिये पंच-कार्ड पर और आउटपुट के लिये प्रिंटर पर निर्भर करते थे। दूसरी-पीढ़ी के कंप्यूटरों में प्रतीकात्मक अथवा असेम्बली लैंग्वेज का उपयोग किया गया, जिसने प्रोग्रामर्स को शब्दों में निर्देश देने की सुविधा प्रदान की। ये ऐसे पहले कंप्यूटर थे, जिन्होंने कोर मैग्नेटिक तकनीकी पर अपनी मेमोरी में निर्देशों को स्टोर किया।

तीसरी पीढ़ी (1964-1971)


तीसरी पीढ़ी (1964-1971) – इंटीग्रेटेड सर्किट – तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर इंटीग्रेटेड सर्किट (आईसी) पर आधारित थे। यह इंटीग्रेटेड चिप तीसरी पीढ़ी का आधार बन गया। ट्रांज़िस्टर का आकार छोटा हो गया और उनको सिलिकॉन चिप पर लगाया गया, जिनको सेमीकंडक्टर कहते हैं, जिन्होंने कंप्यूटर की गति और कार्य-क्षमता को अत्यधिक बढ़ाया। यूज़र कीबोर्ड और मॉनीटर के ज़रिये इन कंप्यूटर से संपर्क बनाते थे। उनका इंटरफ़ेस एक ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ होता था, जिसने इस उपकरण पर एक समय में अनेक विभिन्न एप्लीकेशन चलाने की सुविधा दी। ऐसा पहली बार था, कि कंप्यूटर बड़ी संख्या में लोगों तक पहुँच सके, क्योंकि ये अपने पूर्वज कंप्यूटरों की तुलना में छोटे और सस्ते थे।

चौथी पीढ़ी (1971-वर्तमान)


माइक्रोप्रोसेसर - चौथी पीढ़ी के कंप्यूटरों में माइक्रोप्रोसेसर का उपयोग किया गया, जहाँ एक सिलिकॉन चिप के ऊपर हज़ारों इंटीग्रेटेड सर्किट बनायी गयीं थीं, जिसके साथ वीएलएसआई (वेरी लार्ज स्केल इंटीग्रेशन) को प्रस्तुत किया गया। पूरे कमरे में समाने वाला पहली पीढ़ी का कंप्यूटर अब हाथों की हथेली में समा सकता था। 1971 में विकसित की गयी इंटेल 4004 चिप में सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट और मेमोरी से लेकर इनपुट आउटपुट कंट्रोल तक कंप्यूटर के सभी घटक शामिल थे। 1981 में आईबीएम ने घरेलू यूज़र्स के लिए अपना पहला कंप्यूटर प्रस्तुत किया, और 1984 में एपल ने मैकिंटोश प्रस्तुत किया। चूँकि ये छोटे आकार के कंप्यूटर अधिक शक्तिशाली हो गये थे, अतः उनको आपस में जोड़कर नेटवर्क बनाया जा सकता था, जिसके फलस्वरूप इंटरनेट का विकास हुआ। चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर के साथ ही जीयूआई, माउस और हैंडहेल्ड डिवाइसों का विकास भी हुआ।

पांचवी पीढ़ी (जेनेरेशन)


पांचवी पीढ़ी (वर्तमान एवं भविष्य) – आर्टिफ़िशयल इंटेलिजेंस – पांचवी पीढ़ी के कंप्यूटर डिवाइस आर्टिफ़िशयल इंटेलिजेंस (अर्थात, कृत्रिम बुद्धिमत्ता) पर आधारित हैं, और अभी भी विकास के मार्ग पर हैं। वॉयस रिकग्निशन सिस्टम और रोबोट जैसी कुछ एप्लीकेशन का उपयोग आज हो रहा है। पैरेलल (समानांतर) प्रोसेसिंग और सुपरकंडक्टर के उपयोग आर्टिफ़िशयल इंटेलिजेंस को एक वास्तविकता बनाने में सहायक हो रहे हैं। पांचवीं पीढ़ी की कंप्यूटिंग का लक्ष्य ऐसे उपकरण विकसित करना है, जो प्राकृतिक भाषा के इनपुट पर प्रतिक्रिया कर सके, और जिसमें सीखने एवं आत्म-पहचान की क्षमता हो। ये उपकरण आने वाले वर्षों में कंप्यूटर के स्वरूप में अत्यधिक परिवर्तन लायेंगे।

पर्सनल कंप्यूटर या माइक्रो कंप्यूटर


पर्सनल कंप्यूटर(पीसी) या माइक्रोकंप्यूटर सबसे लोकप्रिय कंप्यूटर सिस्टम है। यह आकार में छोटा है लेकिन यह बड़े कार्य करने में सक्षम है। यह घर के एकाउंट से लेकर बड़ी उत्पादन कंपनियों के स्टोर के रेकॉर्ड रखने जैसे विभिन्न रेंज के कार्य कर सकता है। माइक्रोकंप्यूटर चार प्रकार के होते हैं- डेस्कटॉप, नोटबुक, टेबलेट पीसी एवं हैंडहेल्ड कंप्यूटर।

मिनी कंप्यूटर


यह आम उपयोग वाला कंप्यूटर है। रेफ़्रिजरेटर के आकार की मशीन, मिनी कंप्यूटर को मिडरेंज कंप्यूटर भी कहा जाता है। एक आम मिनी कंप्यूटर व्यक्तिगत कंप्यूटर से अधिक महंगा होता है और इसकी गति तथा स्टोरेज क्षमता अधिक होती है। इस कंप्यूटर सिस्टम को सामान्यतः विभिन्न यूज़र की आवश्यकताओं को संभालने के लिए डिज़ाइन किया जाता है। उदाहरण के लिए, उत्पादन विभाग मिनी कंप्यूटर का उपयोग कुछ उत्पादन प्रक्रियाओं और असेम्बली-लाइन ऑपरेशन पर नज़र रखने के लिए करता है।

मेनफ़्रेम कंप्यूटर


मेनफ़्रेम कंप्यूटर सिस्टम का एक दूसरा रूप है जो सामान्यतः मिनी कंप्यूटर सिस्टम की अपेक्षा अधिक शक्तिशाली होता है। विभिन्न मेनफ़्रेम कंप्यूटर की कीमत एवं क्षमता में अलग-अलग हो सकती है। बड़ी संस्थाओं में बड़े कार्यों के लिए इसका उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए, लाखों पॉलिसी धारक की सूचना को प्रोसेस करने के लिए बीमा कंपनियाँ मेनफ़्रेम का उपयोग करती हैं।

सुपर कंप्यूटर


ये विश्व के सबसे बड़े, सबसे तेज एवं सबसे मँहगे कंप्यूटर सिस्टम होते हैं। मौसम का पूर्वानुमान, जटिल वैज्ञानिकी एवं सुरक्षा एप्लिकेशन, जैव-औषधि अनुसंधान तथा प्रयोगशालाओं में बड़ी मात्रा में रासायनिक विश्लेषण आदि कार्यों के लिए इसका उपयोग किया जाता है। आईबीएम का ब्लू जीन विश्व का सबसे तेज़ कंप्यूटर माना जाता है।

प्रक्रिकंप्यूटर प्रणाली के भागयाएं


जब हम पर्सनल कंप्यूटर या माइक्रोकंप्यूटर के बारे में सोचते हैं तो हमारा ध्यान इसके उपकरण यानि मॉनिटर या कीबोर्ड पर जाता है। माइक्रोकंप्यूटर में इससे अधिक बहुत कुछ होता है। यह एक बड़ी इकाई, “इंफॉर्मेशन सिस्टम” का भाग है। एक संपूर्ण इंफ़ॉर्मेशन सिस्टम पाँच भागों से बना है- हार्डवेयर, सॉफ़्टवेयर, डेटा, यूज़र्स एवं प्रोसिजर्स। अब हम प्रत्येक भाग को समझते हैं।

हार्डवेअर


हार्डवेअर के अंन्तर्गत कंप्यूटर के छोटे-बड़े वे सब उपकरण आते हैं, जिन्हें हम देख व छू सकते हैं। इनके अंन्तर्गत "निवेश" (इनपुट) व "निर्गत" (आउटपुट) यंत्र आते है।

सॉफ्टवेअर


सॉफ्टवेअर कंप्यूटर का वह माध्यम है, जिसे हम कंप्यूटर प्रणाली की गतिविधियों को नियन्त्रित करने वाले आदेशों व निर्देशों का एक संगठित समूह (सैट) कह सकते हैं। ये आदेश और र्निदेश विविध कार्यक्रमों के रूप में संकलित होते हैं। कुछ प्रोग्राम कंप्यूटर द्वारा इसके अपने यंत्रो व कामों को नियन्त्रित करते हेतु प्रयोग किए जाते हैं।

डेटा



डेटा में अधूरे कार्य एवं चित्र होते हैं जिनको मेनुपुलेट एवं प्रोसेस करके कंप्यूटर अर्थपूर्ण सूचना में परिवर्तित करता है। कंप्यूटर पर डेटा डिजिटल रूप में संग्रहित होता है। इसका अर्थ है कि कंप्यूटर सभी डेटा को संख्या के रूप में पढ़ता और संग्रहीत करता है। किंतु, इसके आउटपुट की सूचना मनुष्य के द्वारा समझी जा सकने वाली भाषा में मिलती है। पेरोल प्रणाली में, डेटा काम के घंटों की संख्या एवं भुगतान दर के आधार रख सकता है। यह प्राप्ति सूचना के लिए (प्रसंस्कृत) है, जिसे साप्ताहिक भुगतान किया जाएगा।

डेटा फाइल्स के प्रकार


डेटा में कुछ तथ्य और संख्याएँ होती हैं जिनको प्रोसेस करके कंप्यूटर एक अर्थपूर्ण जानकारी में बदल देता है। कंप्यूटर में डेटा डिजिटल रूप में स्टोर होता है। इसका अभिप्राय यह है कि कंप्यूटर डेटा को संख्या के रूप में पढ़ता है और स्टोर करता है। हालांकि, इन सूचनाओं का आउटपुट वह ऐसे रूप में देता है जिसे मानव समझ सके। पेरोल प्रणाली में, काम के घंटे और पारिश्रमिक की दर डेटा के रूप में व्यक्त होगी। इसको प्रोसेस करके साप्ताहिक पारिश्रमिक की सूचना प्राप्त की जा सकती है।

यूज़र्स


यूज़र ऐसा व्यक्ति है जो किसी विशेष उद्देश्य से कंप्यूटर का उपयोग करता है। कंप्यूटर उसकी उत्पादकता को बढ़ाता है। वह कंप्यूटर सिस्टम के आंतरिक कार्यकलापों में शामिल नहीं होता है। वह डेटा इनपुट करता है और अपनी आवश्यकतानुसार सूचना प्राप्त करता है। क्योंकि वह कंप्यूटर को बाह्य रूप से उपयोग करता है, इसलिए हम अक्सर यूज़र को इंफ़ॉर्मेशन सिस्टम के एक भाग के रूप में नज़रअन्दाज़ करते हैं।

प्रक्रियाएँ


प्रक्रियाएँ कुछ कामों को करने के लिए कार्यवाहियों की क्रमबद्ध सूची होती है। हार्डवेयर, सॉफ़्टवेयर एवं डेटा के उपयोग में पालन किये जाने वाले नियम या निर्देश प्रक्रियाएँ होती हैं। सॉफ़्टवेयर और हार्डवेयर उत्पादक अपने उत्पाद के उपयोग के लिए प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक रूप में निर्देशों के मेन्युअल प्रदान करते हैं।

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