https://www.rakeshmgs.in/search/label/Template
https://www.rakeshmgs.in
RakeshMgs

होली क्यों मनाई जाती है? Why is Holi Celebrated? | देखें होली का इतिहास तथा शुभ मुहूर्त

Updated:

होली क्यों मनाई जाती है? Why is Holi Celebrated? | देखें होली का इतिहास तथा शुभ मुहूर्त



    2022 में होली कब है? When is Holi in 2022?

    होली हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्योहार फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के अगले दिन मानाया जाता है। दरअसल फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन मानाया जाता है। इसे बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना गया है। होलिका दहन (Holika Dahan 2022) इस बार 17 मार्च को मनाया जाएगा और होली 18 मार्च को मनाई जाएगी। होली से 8 दिन पहले यानि 10 मार्च से होलाष्टक लग जाएगा। होलाष्टक के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। आइए जानते हैं साल 2022 में होली कब है और होलिका दहन का शुभ मुहूर्त।

    ‘रंगों के त्यौहार’ के तौर पर मशहूर होली का त्योहार फाल्गुन महीने में पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। तेज संगीत और ढोल के बीच एक दूसरे पर रंग और पानी फेंका जाता है। भारत के अन्य त्यौहारों की तरह होली भी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। प्राचीन पौराणिक कथा के अनुसार होली का त्योहार, हिरण्यकश्यप की कहानी जुड़ी है।

    होली का इतिहास History of Holi

    हिरण्यकश्यप प्राचीन भारत का एक राजा था जो कि राक्षस की तरह था। वह अपने छोटे भाई की मौत का बदला लेना चाहता था जिसे भगवान विष्णु ने मारा था। इसलिए अपने आप को शक्तिशाली बनाने के लिए उसने सालों तक प्रार्थना की। आखिरकार उसे वरदान मिला। लेकिन इससे हिरण्यकश्यप खुद को भगवान समझने लगा और लोगों से खुद की भगवान की तरह पूजा करने को कहने लगा। इस दुष्ट राजा का एक बेटा था जिसका नाम प्रहलाद था और वह भगवान विष्णु का परम भक्त था। प्रहलाद ने अपने पिता का कहना कभी नहीं माना और वह भगवान विष्णु की पूजा करता रहा। बेटे द्वारा अपनी पूजा ना करने से नाराज उस राजा ने अपने बेटे को मारने का निर्णय किया। उसने अपनी बहन होलिका से कहा कि वो प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठ जाए क्योंकि होलिका आग में जल नहीं सकती थी। उनकी योजना प्रहलाद को जलाने की थी, लेकिन उनकी योजना सफल नहीं हो सकी क्योंकि प्रहलाद सारा समय भगवान विष्णु का नाम लेता रहा और बच गया पर होलिका जलकर राख हो गई। होलिका की ये हार बुराई के नष्ट होने का प्रतीक है। इसके बाद भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप का वध कर दिया, इसलिए होली का त्योहार, होलिका की मौत की कहानी से जुड़ा हुआ है। इसके चलते भारत के कुछ राज्यों में होली से एक दिन पहले बुराई के अंत के प्रतीक के तौर पर होली जलाई जाती है।

    रंग होली का भाग कैसे बने? How did colors become a part of Holi?

    यह कहानी भगवान विष्णु के अवतार भगवान कृष्ण के समय तक जाती है। माना जाता है कि भगवान कृष्ण रंगों से होली मनाते थे, इसलिए होली का त्योहार रंगों के रूप में लोकप्रिय हुआ। वे वृंदावन और गोकुल में अपने साथियों के साथ होली मनाते थे। वे पूरे गांव में मज़ाक भरी शैतानियां करते थे। आज भी वृंदावन जैसी मस्ती भरी होली कहीं नहीं मनाई जाती।
    होली वसंत का त्यौहार है और इसके आने पर सर्दियां खत्म होती हैं। कुछ हिस्सों में इस त्यौहार का संबंध वसंत की फसल पकने से भी है। किसान अच्छी फसल पैदा होने की खुशी में होली मनाते हैं। होली को ‘वसंत महोत्सव’ या ‘काम महोत्सव’ भी कहते हैं।

    होली एक प्राचीन त्यौहार है Holi is an ancient festival

    होली प्राचीन हिंदू त्यौहारों में से एक है और यह ईसा मसीह के जन्म के कई सदियों पहले से मनाया जा रहा है। होली का वर्णन जैमिनि के पूर्वमिमांसा सूत्र और कथक ग्रहय सूत्र में भी है।

    प्राचीन भारत के मंदिरों की दीवारों पर भी होली की मूर्तियां बनी हैं। ऐसा ही 16वीं सदी का एक मंदिर विजयनगर की राजधानी हंपी में है। इस मंदिर में होली के कई दृश्य हैं जिसमें राजकुमार, राजकुमारी अपने दासों सहित एक दूसरे पर रंग लगा रहे हैं।

    कई मध्ययुगीन चित्र, जैसे 16वीं सदी के अहमदनगर चित्र, मेवाड़ पेंटिंग, बूंदी के लघु चित्र, सब में अलग अलग तरह होली मनाते देखा जा सकता है।

    होली की बेस्ट शायरी और इमेज हिंदी में

    होली की बढ़िया बढ़िया हिंदी शायरी पढने के लिए निचे लिंक पर क्लिक करें और अपने दोस्तों रिश्तेदारों को शेयर करें

    होली के रंग Colors of Holi

    पहले होली के रंग टेसू या पलाश के फूलों से बनते थे और उन्हें गुलाल कहा जाता था। वो रंग त्वचा के लिए बहुत अच्छे होते थे क्योंकि उनमें कोई रसायन नहीं होता था। लेकिन समय के साथ रंगों की परिभाषा बदलती गई। आज के समय में लोग रंग के नाम पर कठोर रसायन का उपयोग करते हैं। इन खराब रंगों के चलते ही कई लोगों ने होली खेलना छोड़ दिया है। हमें इस पुराने त्यौहार को इसके सच्चे स्वरुप में ही मनाना चाहिए।

    होलिका दहन का शुभ मुहूर्त Holika Dahan auspicious time

    होलिका दहन 17 मार्च, गुरुवार के दिन मनाई जाएगी.
    पंचांग के अनुसार होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त रात 9 बजकर 20 मिनट से लेकर रात 10 बजकर 31 मिनट तक रहेगा.
    होलिका दहन के लिए कुल 1 घंटा 10 मिनट का समय मिलेगा. 

    होली समारोह Holi Celebrations

    • होली एक दिन का त्यौहार नहीं है। कई राज्यों में यह तीन दिन तक मनाया जाता है।
    • दिन 1 – पूर्णिमा के दिन एक थाली में रंगों को सजाया जाता है और परिवार का सबसे बड़ा सदस्य बाकी सदस्यों पर रंग छिड़कता है।
    • दिन 2 – इसे पूनो भी कहते हैं। इस दिन होलिका के चित्र जलाते हैं और होलिका और प्रहलाद की याद में होली जलाई जाती है। अग्नि देवता के आशीर्वाद के लिए मांएं अपने बच्चों के साथ जलती हुई होली के पांच चक्कर लगाती हैं।
    • दिन 3 – इस दिन को ‘पर्व’ कहते हैं और यह होली उत्सव का अंतिम दिन होता है। इस दिन एक दूसरे पर रंग और पानी डाला जाता है। भगवान कृष्ण और राधा की मूर्तियों पर भी रंग डालकर उनकी पूजा की जाती है।

    आपको आर्टिकल कैसा लगा? अपनी राय अवश्य दें
    Please don't Add spam links,
    if you want backlinks from my blog contact me on rakeshmgs.in@gmail.com